
प्रशासन द्वारा जारी पहला आंकड़ा बेजिला हद भ्रामक: विधायक महानंद सिंह*
*BLO पर गणना प्रपत्र भरने का अनुचित दबाव, खेती के व्यस्त मौसम में नाम जांच कैसे संभव
अरवल से भाकपा (माले) विधायक महानंद सिंह ने SIR (Special Intesive Revision) से जुड़ी मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जारी पहले आंकड़े को बेहद भ्रामक और जनविरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने दावा किया है कि अरवल विधानसभा क्षेत्र में करीब 31,000 और कुर्था में लगभग 25,000 मतदाताओं के नाम संभावित रूप से हटाने लायक चिह्नित किए गए हैं, जिनमें मृत, शिफ्टेड और “अज्ञात पहचान” वाले मतदाता शामिल हैं।
महानंद सिंह ने कहा कि मृत मतदाताओं को सूची से हटाने की बात तो समझ में आती है, लेकिन बड़ी संख्या में जिन लोगों को ‘बिना पहचान’ वाला बताया जा रहा है, वह गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर किस आधार पर ये पहचान नहीं की जा सकी? क्या यह मतदाता सूची से नाम काटने की सुनियोजित पृष्ठभूमि नहीं है?”
*BLO पर भारी दबाव, प्रक्रियागत अराजकता*
उन्होंने बताया कि माले की टीम ने कई बूथों का दौरा किया और BLO (बूथ लेवल अधिकारी) से बातचीत की। जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन के दबाव में BLO समय सीमा से पहले जैसे-तैसे गणना प्रपत्र भर रहे हैं। उन पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि 20 जुलाई तक सभी प्रपत्र अपलोड कर दिए जाएं, जबकि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा 26 जुलाई है।
प्रशासन जल्दबाज़ी में काम करवाने की होड़ में लगा है, जबकि BLO सभी मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह अराजकता से ग्रस्त है।
*गांवों में कोई सूचना नहीं, न मुनादी, न प्रचार*
विधायक ने कहा कि जिला प्रशासन कह रहा है कि संभावित विलोपित मतदाताओं के लिए पंचायत स्तर पर बैठकें की जाएंगी, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसकी कोई सूचना या मुनादी नहीं कराई गई है।
इस समय ग्रामीण क्षेत्र में धान की रोपनी और खेती का चरम समय है। आम लोग अपने खेतों में व्यस्त हैं। ऐसे में उन्हें कब, कैसे और कहां जाकर अपने नाम की स्थिति जांचनी है – यह पूरी तरह अस्पष्ट है। क्या किसान खेती छोड़े और अपने मताधिकार की रक्षा में लगे?
*भ्रामक प्रचार और वोटबंदी की साजिश*
महानंद सिंह ने चेताया कि वोटर सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाने की एक साजिश रची जा रही है। अभी तो ड्राफ्ट भी नहीं आया है, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि 35 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की योजना है।उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी, नेपाली और म्यांमार के लोगों की घुसपैठ का हवाला देकर फर्जी प्रचार किया जा रहा है, जिससे आम लोगों में भ्रम और भय पैदा किया जा सके। अगर सचमुच विदेशी नागरिक वोटर लिस्ट में हैं, तो इसका जवाब केंद्र और राज्य सरकार को देना चाहिए, जिन्होंने अब तक उन्हें हटाया क्यों नहीं।
*11 दस्तावेजों की बाध्यता – सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी*
विधायक ने कहा कि आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची दी है, जिनमें से कोई एक दिखाना अनिवार्य बताया गया है। “लेकिन बिहार के गरीब, दलित, वंचित, महिला और अल्पसंख्यक समुदायों के पास इन दस्तावेजों में से अधिकांश नहीं हैं। राशन कार्ड, आधार, मनरेगा जॉब कार्ड जैसे सामान्य दस्तावेज़ों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें पर्याप्त माना है।सबसे खतरनाक बात यह है कि ERO (Electoral Registration Officer) को यह अधिकार दे दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति दस्तावेज़ न दिखा सके, तो वह उसकी नागरिकता पर सवाल उठा सकता है। यह संविधान और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला है।*जनविरोधी प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन होगा तेज*
महानंद सिंह ने दो टूक कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रशासन पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए और एक भी मतदाता का नाम न काटा जाए। यदि किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम काटा गया, तो हम व्यापक जनांदोलन में उतरेंगे।
प्रेस वार्ता में उनके साथ भाकपा (माले) जिला सचिव जितेन्द्र यादव, राज्य सोशल मीडिया प्रभारी कुमार परवेज़, जिला पार्षद शाह शाद, और रविन्द्र यादव भी उपस्थित थे।