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बाल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम: करपी–कुर्था में पंचायत स्तरीय बैठक व उन्मुखीकरण प्रशिक्षण आयोजित

बाल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम: करपी–कुर्था में पंचायत स्तरीय बैठक व उन्मुखीकरण प्रशिक्षण आयोजित

 

रिपोर्ट=सुमित कुमार गौतम (अरवल)

अरवल जिला के करपी प्रखंड के धर्मपुर गांव एवं नगवां पंचायत, साथ ही कुर्था प्रखंड के मानिकपुर पंचायत में पंचायत स्तरीय बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक सह एक दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का केंद्रबिंदु बाल अधिकारों की समझ, जोखिमों की पहचान, त्वरित हस्तक्षेप एवं कानूनी प्रावधानों का व्यवहारिक प्रशिक्षण रहा। आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाते हुए केस-स्टडी, रोल-प्ले और समूह चर्चा के माध्यम से जमीनी चुनौतियों और समाधान पर विचार रखा।कार्यशाला को संबोधित करते हुए करपी प्रखंड के सीडीपीओ ने स्पष्ट कहा, “बाल विवाह, बाल मजदूरी और मानव तस्करी/देह व्यापार कानूनन अपराध हैं और समाज के लिए गहरी बुराइयाँ।” उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को 1098 चाइल्डलाइन, ग्राम निगरानी तंत्र, स्कूल–आंगनवाड़ी समन्वय, तथा रिपोर्टिंग की चरणबद्ध प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही बाल विवाह निषेध अधिनियम, बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, जेजे एक्ट और पॉक्सो जैसे प्रमुख प्रावधानों की मुख्य धाराएँ सरल भाषा में समझाईं, ताकि किसी भी संदिग्ध स्थिति में समय पर सूचना, बचाव और पुनर्वास सुनिश्चित हो सके।विकास पथ विक्रम के सचिव सत्येंद्र कुमार शांडिल्य ने समुदाय-आधारित निगरानी को प्रभावी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सुरक्षित बचपन सिर्फ सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर अभिभावक, शिक्षक, वार्ड सदस्य और जनप्रतिनिधि की साझा प्रतिबद्धता है।” शांडिल्य ने ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण रजिस्टर बनाए रखने, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की सूची की नियमित समीक्षा, बाल विवाह के संभावित जोखिम वाले परिवारों की अग्रिम पहचान, तथा सामाजिक जागरूकता रैलियों और अभिभावक संवाद की मासिक योजना का प्रस्ताव रखा।अंत में, पंचायत प्रतिनिधियों, आंगनवाड़ी कर्मियों और स्थानीय संगठनों ने संयुक्त संकल्प-पत्र पर सहमति दी—जिसमें ‘हर बच्चे के लिए सुरक्षित वातावरण’, ‘शून्य बाल विवाह–शून्य बाल मजदूरी’ और ‘तुरंत सूचना–तुरंत कार्रवाई’ जैसे लक्ष्य तय किए गए। कार्यशाला का निष्कर्ष यही रहा कि जागरूक समुदाय और मजबूत समन्वय से ही बाल अधिकारों की वास्तविक रक्षा संभव है।

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